किसी को डूबने से बचाने के दौरान न करें ये काम

किसी को डूबने से बचाने के दौरान न करें ये काम

सेहतराग टीम

अब जबकि श्रीदेवी की मौत के मामले में ये बात सामने आ रही है कि उनकी मौत दरअसल बाथटब में डूबने से हुई थी तो ये जरूरी है कि हम डूबने से होने वाली मौतों के बारे में भी अपनी जानकारी का स्‍तर बढ़ाएं। दरअसल, दुनिया में दुर्घटनावश होने वाली मौतों में तीसरी सबसे बड़ी वजह है डूब कर होने वाली मौत। शराब के नशे, किसी नशीली ड्रग्‍स की वजह से, हाइपोथर्मिया, सीजर्स और डेवलपमेंटल डिसआडर्स आदि की वजह से डूबने का जोखिम बढ़ जाता है। डूबने के कारण शरीर में टिश्‍यू हाइपोक्‍स‍िया की स्थिति बनती है जो आखिरकार शरीर के सभी उतकों और हर अंग को अपनी चपेट में ले लेती है।

प्राथमिक च‍िक‍ित्‍सा

डूबने वाले व्‍यक्ति को सबसे पहले दो बार रेस्‍क्‍यू ब्रीथ (मुंह से मुंह में कृत्रिम सांस) दी जाती है जिससे उसकी छाती में जगह बनती है और यदि मरीज इसके बावजूद रिस्‍पॉन्‍ड नहीं करता है तो उसकी छाती पर कार्डियोपल्‍मोनरी रेसुसिटेशन यानी सीपीआर की प्रक्रिया की जाती है।

पानी निकालने के फेर में न पड़ें

आपने अकसर फिल्‍मों में देखा होगा कि डूबते को बचाने के लिए उसके पेट या फेफड़े से पानी निकालने की तरकीबें आजमाई जाती हैं। इन तरकीबों का कोई स्‍थापित महत्‍व नहीं है। इसलिए इन तरकीबों में समय गंवाने की बजाय तत्‍काल रेस्‍क्‍यू ब्रीदिंग की तकनीक अपनानी चाहिए। वैसे रिसैसिटेशन की प्रक्रिया में भले ही लंबा समय लगे (कई बार कई घंटे) इसके बावजूद हाइपोथर्मिया और कार्डिएक अरेस्‍ट के मरीजों के पूरी तरह ठीक होने के कई प्रमाण हैं।

डूबने से मौत से पहले के कुछ लक्षण

मुंह और नाक से सफेद गाढ़ा और ज्‍यादा मात्रा में झाग निकलना जिसमें खून के अंश भी मिले होते हैं। ये झाग सामान्‍य झाग की बनिस्‍पत देर तक बना रहता है और बहुत अधिक मात्रा में होता है। इसके अलावा हाथों में बिलकुल लाश की तरह की अकड़न आ जाती है। ब्रेन, ल‍िवर और बोन मैरो के उतकों की माइक्रोस्‍कोपिक जांच में डायटम्‍स की मौजूदगी पाई जाती है। पेट और आंतों में पानी पाया जाता है। फेफड़ों में प्रचूर मात्रा में पानी भर जाता है। फेफड़ों और हवा के रास्‍तों में भी झाग पाया जाता है।

टब में डूबने के कुछ मुख्‍य कारण

किसी दौरे के कारण डूबने से होने वाली मौतों के मामले में बाथटब सबसे आम जगह होती है। यही कारण है कि मिरगी के मरीजों को बाथटब में नहाने के बजाय शावर के नीचे नहाने की सलाह दी जाती है।

हार्ट अटैक के कारण होने वाली बेहोशी और उसके बाद बाथटब में गिरने के कारण भी कई मौतें हुई हैं। दिल की अनियमित धड़कन वाले मरीज कई बार बाथटब में अपनी जिंदगी समाप्‍त कर लेते हैं। इसके अलावा भी कई मेडिकल वजहें हैं जो बाथटब में अचानक डूबने से होने वाली मौतों के लिए जिम्‍मेदार होती हैं।

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